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बैकाल झील: पर्यटकों के बोझ से जूझती रूस का सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल

बैकाल झील: पर्यटकों के बोझ से जूझती रूस का सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल

बैकाल झील रूस के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। हालांकि, इसका खमियाजा भी इसे सहना पड़ रहा है। इसके आस-पास तेजी से बन रहे होटल, रेस्तरां और पर्यटक आकर्षण स्थलों के कारण इसके तटों पर फैंके जा रहे कचरे को लेकर पर्यावरणविद् चेतावनी दे रहे हैं।

पूर्वी साइबेरिया में स्थित दुनिया की सबसे बड़ी ताजे पानी की झील के किनारे पर्यटकों के खाने-पीने के लिए अनेक दुकानें मौजूद हैं। इसके संकरे तट पर लगभग एक किलोमीटर तक पर्यटकों को सैर करवाने के लिए आए वाहनों की कतार लगी नजर आती है।

इस विशाल झील के पश्चिमी तट पर स्थित एक छोटा कस्बा लिस्तव्यांका पारम्परिक रूप से मछुआरों का गांव हुआ करता था लेकिन उस विरासत का आज वहां बहुत कुछ बचा नहीं है। अब यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल यह इलाका हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है।

जिस तेजी से यहां आने वाले लोगों की संख्यां बढ़ी है, उसी तेजी से यहां कचरा भी बढ़ा है जिसे लेकर पर्यावरणविद् बेहद चिंतित हैं।

बैकाल झील: विश्व की सबसे गहरी झील

1600 मीटर की गहराई के साथ यह विश्व की सबसे गहरी झील भी है जो हाल के वर्षों में अक्सर सुर्खियों में रही है। अतीत में पर्यावरणविद् कागज बनाने वाले एक कारखाने का विरोध कर रहे थे जिसका कचरा सीधे इस झील में भेजा जाता था। ‘रूस की शर्म’ के नाम से निंदा होने के बाद इस कारखाने को 6 वर्षों पहले बंद कर दिया गया था।

अब, 640 किलोमीटर लम्बी और 80 किलोमीटर चौड़ी यह झील यहां आए पर्यटन बूम को लेकर सुर्खियां बटोर रही है।

पर्यावरणविदों की चिंता:

रूस के पर्यावरण लोकपाल सर्गेई इवानोव ने हाल ही में एक पर्यावरण सम्मेलन में कहा, “बैकाल हमारे लिए बहुत चिंता का कारण है”।

यह कोटा तय करके इलाके के नाजुक पारिस्थितिक तंत्र में पर्यटकों की संख्या को सीमित करना चाहते हैं।

अनेक पर्यटक बिना अनुमति के वहां कैम्प लगा लेते हैं, होटलों में उचित सीवेज व्यवस्था नहीं है और कैम्पिंग करने वाले गैर-जिम्मेदाराना तरीके से वहां रहते हैं और लापरवाही से खाना पकाने की वजह से वहां के जंगलों में बार-बार गम्भीर आग लग रही है और झील को खतरे में डालने वाला टनों कचरा इसके तटों पर जमा हो चुका है।

पर्यटकों की भीड़ से लिस्तव्यांका निवासी भी परेशान होने लगे हैं। हालांकि, आर्थिक दृष्टि से अविकसित इस इलाके को इन पर्यटकों से काफी लाभ होता है।

अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों में लोकप्रिय ट्रांस-साइबेरियन रेलवे अंतर्राष्ट्रीय सफर के दौरान अक्सर लगभग 2,000 निवासियों के इस कस्बे में पर्यटकों को सैर करवाने के लिए रूकती है। पिछले साल के अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार बैकाल झील पर 1 लाख से अधिक पर्यटक आए।

झील लंबी पैदल यात्रा, नौकायन और तैराकी के साथ ही अपने ठंडे पानी के लिए भी काफी लोकप्रिय है।

बैकाल झील: कचरे की समस्या

रूस में कचरा एक व्यापक समस्या बन चुका है और इसके अधिकतर शहर इससे जूझ रहे हैं। उदाहरण के लिए मॉस्को अपने कचरे के एक हस्से को सुदूर-उत्तरी क्षेत्र में स्थित अखानगेल्स्क में फेंकना चाहता है जबकि वहां के निवासी महीनों से इस बात का विरोध कर रहे हैं।

रूस कचरे के निपटना संबंधी अपनी नीति में सुधार करने की प्रक्रिया से गुजर रहा है।

दूसरी ओर लिस्तव्यांका में होटल, रेस्तरां और तैराकी के लिए विशेष स्थल तेजी से बन रहे हैं। किनारों से कुछ मीटर की दूरी पर अनगिनत स्थलों का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा करीब ही बाजार और चिड़ियाघर भी हैं जहां सील मछलियों को पानी में करतब दिखाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।

निर्माण कार्यों से नुकसान:

कस्बे में जन्मी पर्यावरणविद् गैलिना सिबिर्याकोवा अब झील के पश्चिमी किनारे के पास ओलखोन टापू पर अपने परिवार के साथ रहती हैं। वह कहती हैं, “हमारे कस्बे का गला पर्यटन से घुटता जा रहा है”।

वह कहती हैं कि ओलखोन टापू पर ही टूर बसों, सड़कों के विस्तार के लिए जंगलों को साफ किया जा रहा है। टापू पर ही हर साल लगभग 50,000 पर्यटक आते हैं। वहां 30 से अधिक होटल और स्पा रिसॉर्ट हैं और उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है।

कई सालों से अपने ब्लॉक के माध्यम से इलाके के कचरे के ढेर में बदलने को लेकर आवाज उठा रही गैलिन कहती हैं, “हमारी खूबसूरत जगहें कचरे में बदल रहीं हैं”।

वह चाहती हैं कि कम होटल वाले तो प्रकृति संरक्षण के जरूरी मापदंडों तथा निर्देशों का अनुपालन करें। नियमों का उल्लंघन करने वालों को जुर्माना करने की चेतावनी तो दी जाती है लेकिन इस मामले में फिलहाल अधिकारी बहुत सुस्त हैं।

झील के दूसरे छोर पर स्थित बुरियाटिया इलाके में भी ऐसी समस्याएं हैं।

पर्यावरणविदों के अनुसार निवासियों को पर्यटकों से लाभ तो है लेकिन वे उनकी वजह से जमा होने वाले कचरे से निपटने के निपटने के लिए न तो तैयार हैं और न ही इसमें सक्षम हैं।

कचरे को अक्सर दबा दिया जाता है क्योंकि इस क्षेत्र में रिसाइक्लिंग के लिए इंतजामों की भारी कमी है। निवासी भी अब राजधानी मास्को में व्लादिमीर पुतिन की सरकार से इस मामले को गम्भीरता से लेकर जरूरी कदम उठाने की आस लगाए हुए हैं।

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