आज मटेरा किसी धार्मिक फिल्म का सैट प्रतीत होता है। प्राचीन गुफाओं तथा सफेद पत्थरों से बने मकानों के लिए विख्यात इटली के इस पर्वतीय शहर को ‘2019 यूरोपियन कैपिटल ऑफ कल्चर’ यानी ‘यूरोप की सांस्कृतिक राजधानी’ चुना गया है।
नेपल्स तथा बारी के बीच बेसिलिकाटा क्षेत्र में स्थित मटेरा के रोम-रोम में किसी पहाड़ी गांव जैसी खूबसूरती समाई हुई है। खास बात है कि यह विश्व के सबसे पुराने शहरों में से एक है। इस वक्त 60,000 निवासियों के बावजूद यहां अधिक भीड़-भाड़ महसूस नहीं होती है। मटेरा का दिल और आत्मा और इससे जुड़ी हर कहानी का स्रोत सास्सी क्षेत्र है जहां इस शहर के दो सबसे पुराने हिस्से मौजूद हैं।
भीड़-भाड़ से मुक्त:
मटेरा के सास्सी क्षेत्र में ही हॉलीवुड अभिनेता मेल गिब्सन की फिल्म ‘द पैशन ऑफ द क्राइस्ट’ को फिल्माया गया था। आज यह स्थान पर्यटकों में भी खासा लोकप्रिय है जहां उनके लिए बड़ी संख्या में कैफे, आईसक्रीम पार्लर, रेस्तरां खुल चुके हैं जिन्हें अधिकतर युवा चलाते हैं।
मटेरा की उल्लेखनीय बात है कि यह न केवल बेहद सुंदर है बल्कि यह भीड़भाड़ से भी मुक्त है। भले ही यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ते हुए 2010 में 2 लाख से 2017 में साढ़े 4 लाख हो चुकी हो, इसकी संकरी सड़कों पर अभी भी भीड़भाड़ या धक्का-मुक्की नहीं होती है।
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परंतु क्या आने वाले वक्त में भी यह भीड़ से बचा रह सकेगा?:
सास्कृतिक राजधानी वर्ष कार्यक्रमों के प्रमुख पाओलो वेरी ने एम्सटर्डम तथा बार्सिलोना जैसे शहरों पर ध्यान दिया है ताकि वहां संकट बन चुकी ‘अत्यधिक पर्यटकों’ की समस्या से मटेरा में बचा जा सके। पर्यटकों की संख्या बढने पर अक्सर मूल निवासियों की सुविधाओं को दरकिनार कर दिया जाता है। पाओलो का कहना है कि निवासियों को पर्यटकों से अलग नहीं किया जाना चाहिए और पर्यटकों को ‘अस्थायी निवासियों’ के रूप में देखा जाना चाहिए। दोनों पक्षों को एक-दूसरे से सीखना चाहिए लेकिन इस दौरान सबसे महत्वपूर्ण आपसी मेल-मिलाप है। वैसे फिलहाल तो मटेरा के निवासियों को साल 2019 से काफी अपेक्षाएं हैं।
संग्रहालय, गिरजाघर तथा प्राचीन गुफाएं हैं प्रमुख आकर्षण:
मटेरा के इतिहास के बारे में जानने को उत्सुक पर्यटकों के लिए शहर में संग्रहालयों की कमी नहीं है। इनमें से कुछ में पुरातत्व खुदाइयों में मिली चीजों को प्रदर्शित करने पर जोर दिया गया है तो अन्य तरह के विषयों में रूचि रखने वालों के लिए भी यहां कई विशेष संग्रहालय हैं जैसे कि एक जैतून के तेल को समर्पित हैं। सम्पूर्ण इटली की ही तरह स्वादिष्ट इतालवी व्यंजन मटेरा के लोगों के जीवन का भी अहम हिस्सा हैं। शहर के विभिन्न गिरजाघरों को देखने के लिए विशेष टूर भी आयोजित किए जाते हैं। दूसरी ओर शहर की प्राचीन गुफाओं में से कई को उस हाल में दुरुस्त किया गया है जब 1958 में गुफाओं के अंतिम निवासी यहां रहा करते थे।
कभी माना जाता था इटली की शर्म:
आश्चर्य की बात है कि आज भी खुद इटली के लोग मटेरा के बारे में ज्यादा नहीं जानते। 1950 के दशक में इसे ‘ला वेर्गोगना डी इटालिया’ यानी ‘इटली की शर्म’ करार दिया गया था क्योंकि तब लगभग 15,000 लोग प्राचीन सस्सी क्षेत्र में असहनीय परिस्थितियों में रहने को विवश थे।
‘सास्सो’ का इतालवी में मतलब ‘पत्थर’ है और सास्सी क्षेत्र में स्थित ‘सस्सो केविओसो’ तथा ‘सास्सो बारिसनो’ में प्राचीन काल से गुफाओं से ही कई लोग रहा करते थे। दर्जनों लोग अपने पालतू पशुओं के साथ उनमें रहते जहां रोशनी और हवा की बेहद कमी थी। जल्द ही बिमारियां चारों ओर फैल गईं।
अंततः 1950 क दशक में सास्सी को खाली करके निवासियों को अन्य स्थानों पर बसा दिया गया। इस तरह प्राचीन गुफाओं वाले यह क्षेत्र वीरान तथा बदनाम हो गया।
लेकिन फिर 1980 के दशक में लोगों ने सास्सी क्षेत्र की ओर ध्यान देना शुरू किया तथा 1993 में यूनेस्को ने गुफाओं की इन बस्तियों को विश्व धरोहर घोषित किया। अब शर्मिंदगी की बजाय यह क्षेत्र इटली के गौरव से कम नहीं है। लोग फिर से गुफाओं से भरे क्षेत्र में रहते और काम करते हैं जहां सफेद चट्टानों में घुमावदार और सीधी सीढियों से भरी गलियां फैली हैं।