जानकारों के अनुसार इसके मूल निवासी कोई नहीं थे क्योंकि यहां कभी इंसानों का वास नहीं रहा है। इस इलाके की खोज के बाद ही यहां शिकार तथा खनन में रूचि रखने वाले लोगों ने आना शुरू किया था। माना जाता है कि इस इलाके की खोज 1596 में हुई थी जब पहली बार इस द्वीपसमूह का नक्शा डच नाविक विलेम बैरेनत्स ने तैयार किया। इसके नॉर्वे (Europe) के आधिपत्य वाले हिस्से को स्थानीय लोग ‘स्वाल्बार्ड’ पुकारते हैं जिसका नॉर्वेजियन में अर्थ है ‘शांत तट’।
‘बिग फाइव’ का शिकार:
1596 में विलेम द्वारा इस इलाके की समुद्री यात्रा ने ध्रुवीय इलाकों में पाए जाने वाले पांच बड़े जानवरों ‘बिग फाइव’ आर्कटिकों में पाए जाने वाले पांच बड़े जानवरों ‘बिग फाइव’ आर्कटिक व्हेल, पोलर बियर, वालरस, स्वाल्बार्ड रेंडियर तथा आर्कटिक फॉक्स के शिकार की होड़ शुरू की थी।
1920 तक स्पिट्सबर्गन पर किसी देश का शासन नहीं था। यहां अलग-अलग वक्त पर नॉर्वेजियन, डच, रूसियों, जर्मनों, फ्रांसिसियों, स्पेनियों से लेकर अमेरिकियों ने ठिकाने बनाए और बार-बार उठते क्षेत्रीय विवादों के बावजूद बेरोकटोक शिकार या खनन करते रहे। परिणामस्वरूप गत 420 वर्षों की यूरोपीय संस्कृतियों तथा रीती-रिवाजों के कई निशान अभी भी यहां दिखाई दे जाते हैं।
हो रहे हैं शोध के प्रयास:
इस इलाके की खोज के बाद से अब तक यहां आर्कटिक जानवरों के शिकार के तौर-तरीकों से लेकर इलाके पर उनके असर की जांच करने के लिए नए अभियान के तहत शोधकर्ता यहां किसी अपराध को हल करने वाले फॉरैंसिकतरीकों से खोजबीन कर रहे हैं। इनमें से एक हैं फॉरैंसिक आर्कियोलोजिस्ट फ्रिग्गा क्रूज। वह कहती हैं, “मैं इन स्थलों को किसी अपराध स्थल के रूप में देखती हूं और सबूत तलाश करने और नमूने लेने की कोशिश करती हूं।”
इन नमूनों को प्रयोगशालाओं में ले जाकर अन्य वैज्ञानिकों द्वारा और गहन जांच की जा सकती है।
शोधकर्ता जानना चाहते हैं कि व्हेल, वालरस जैसे जानवरों के शिकार तथा खनन से लेकर फर के व्यापार ने इस ध्रुवीय इलाके पर कौन से निशान छोड़े हैं और इसकी वजह से यहां के पारिस्थितिकी तंत्र पर क्या असर हुआ है। इससे इतिहास को समझने और उससे सिखने में मदद मिलने की आस है।
इसके लिए वैज्ञानिक वीरान पड़े गांवों में मल तथा गोबर के ढेरों की जांच से लेकर हड्डियों की खोज कर रहे हैं। यहां पड़ने वाली कड़ाके की ठंड की वजह से सदियों पुराने अवशेष अभी तक खराब नहीं हुए हैं।
इसके साथ ही इलाके की पुरानी चीजों का अध्ययन करने के लिए संग्रहालयों की भी मदद ली जा रही हैं।
अभिलेखागारों में भी उन्हें व्हेल का शिकार करने वालों की लॉगबुक्स तथा अन्य लिखित विवरणों से मदद मिल रही है। जहाज पर जाने वाले डॉक्टरों की डायरी तथा यात्रा रिपोर्ट से भी पता चल रहा है कि जानवरों को कब और कितनी बार शिकार किया गया था।
चूंकि वे शिकार जर्मन, डच, नॉर्वेजियन, फ्रांसिसी, रूसी आदि थे तो इन सभी भाषाओँ के जानकारों की भी इस खोज में मदद ली जा रही है।
शोधकर्ताओं के अनुसार ध्रुवीय क्षेत्र बहुत संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र है जो इंसान के यहां पहुंचने के बाद गत 420 वर्षों से परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है।
The island was first used as a whaling base in the 17th and 18th centuries, after which it was abandoned. Coal mining started at the end of the 19th century, and several permanent communities were established. The Svalbard Treaty of 1920 recognized Norwegian sovereignty and established Svalbard as a free economic zone and a demilitarized zone.
The Norwegian Store Norske and the Russian Arktikugol are the only mining companies. Research and tourism have become important supplementary industries, featuring among others the University Centre in Svalbard and the Svalbard Global Seed Vault. No roads connect the settlements; instead snowmobiles, aircraft, and boats serve as local transport. Svalbard Airport, Longyear provides the main point of entry and exit.
The island has an Arctic climate, although with significantly higher temperatures than other places at the same latitude. The flora benefits from the long period of midnight sun, which compensates for the polar night. Svalbard is a breeding ground for many seabirds, and also supports polar bears, reindeer and marine mammals. Six national parks protect the largely untouched, yet fragile environment. The island has many glaciers, mountains, and fjords.