औपनिवेशक अतीत के संकेत अभी भी छोटे से पश्चिम अफ्रीकी देश टोगो में दिखाई देते हैं लेकिन अब इसका जोर पर्यटन को बढ़ावा देने पर है। पर्यटक यहां पश्चिम अफ्रीका के मशहूर काले जादू ‘वूडू’ अनुष्ठानों से लेकर यहां के पारम्परिक बाजारों की सैर भी कर सकते हैं।
Capital: Lome
Population: 7.6 million
Area: 56,785 sq km (21,925 sq miles)
Languages: French (official), local languages
Major religions: Indigenous beliefs, Christianity, Islam
Life expectancy: 59 years (men), 61 years (women)
Currency: CFA (Communaute Financiere Africaine) franc
पश्चिम अफ्रीका के छोटे-से देश टोगो में बड़ी संख्या में लोग ‘वुडू’ में विश्वास रखते हैं। ‘वूडू’ को एक तरह का काला जादू माना जाता है कई पश्चिम अफ्रीकी देशों में प्रचलित है।
टोगो में आयोजित होने वाले ‘वूडू’ अनुष्ठान को देखने पर्यटक भी पहुंचते हैं। अनुष्ठान के दौरान ‘वूडू’ तांत्रिक लोक गीत गुनगुनाते हुए पैर जमीन पर पटकते हुए नाचते हैं।
‘वूडू’ में विश्वास रखने वाले युद्ध के देवता ‘कोकोऊ’ की पूजा करते हैं। ‘वुडू’ पंथ को मानने वाले खुद को ‘वूदूई’ कहते हैं। वे मानते हैं कि ‘कोकोऊ’ देवता दुश्मन कबीलों के खिलाफ लड़ाई में बहादुरी, ताकत और जुनून की भावना प्रदान करते हैं। ‘कोकोऊ’ टोगो के दो प्रमुख कबीलों में से एक ‘ईव’ के सर्वशक्तिशाली युद्ध देवता हैं।
रोजमर्रा के जीवन में ‘कोकोऊ’ ईर्ष्या से बचाता है, प्यार में प्रतिद्वंद्वियों से आगे रखता है और सबसे खास बात बुरी आत्माओं से भी बचाता है।
‘वूडू’ अनुष्ठान की शुरुआत बुजुर्ग तांत्रिक द्वारा पर्यटकों के सामने एक बर्तननुमा लौकी में से जमीन पर बनी लाल-भूरे रंग की जगह पर महकदार दूधिया तरल उंडेलने से होती है। इस तरल के मिट्टी में सोख लिए जाने के बाद ही अजनबी कदम आगे बढ़ा सकते हैं।
अनुष्ठान के दौरान रंग-बिरंगे कपड़े पहनी महिलाएं और पुरुष लय में नाचते हैं, उनके बीच एक मुख्य नर्तक तेजी से घूमते हुए क्रोधित ईश्वर का दूत बन जाता है।
जर्मनी, ब्रिटेन तथा फ्रांस का उपनिवेश रहा है टोगो
टोगो किसी वक्त एक जर्मन उपनिवेशक था। आज भी 1884 में राजा म्लापा और जर्मन कॉन्सुल-जनरल गुस्ताव नैकटिगल के बीच हुई संरक्षण संधि को समर्पित एक स्मारक राजधानी लोम में मौजूद है। कुछ लोगों को लगता है कि 1914 में जर्मन यदि टोगो से नहीं जाते तो शायद उनकी हालत आज बेहतर होती परंतु आधुनिक इतिहास पुस्तकों में औपनिवेशक काल में टोगो वासियों के दमन का ही वर्णन पढने को मिलता है।
इस देश में आज भी औपनिवेशिक काल की वास्तुकला से सजी कई इमारतें मौजूद हैं। इसमें कुछ अच्छे से संरक्षित हैं तो कुछ कम जैसे कि लोम से 150 किलोमीटर उत्तर में अटाकपेम में जर्मन इम्पीरियल रेडियो स्टेशन के शानदार खंडहर। 1914 में फ्रांसिसियों के आने से पहले जर्मनों ने इस स्थान को ध्वस्त कर दिया था। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन तथा फ्रांस ने यहां हमला किया। इसके बाद इस देश को ब्रिटिश तथा फ्रांसिसी इलाकों में विभाजित कर दिया गया था।
1960 में मिली आजादी
टोगो को 1960 में आजादी नसीब हुई। राजधानी लोम में एक आजादी स्मारक स्थित है जिसे देखने बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। फाजाओ-मालफाकास्सा नैशनल पार्क में वन्य जीवन को करीब से देखा जा सकता है।
दक्षिण की ओर स्थित जैनट्राल उपजाऊ हरे-भरे परिदृश्यों से समृद्ध है। यहां पुराने बाओबाब तथा कापोक वृक्षों के तने नीले आसमान में पूर्व-ऐतिहासिक प्रतीकों की तरह आसमान की ओर उठे नजर आते हैं। पुरुष और महिलाएं खेती से गुजारा करते हैं।
आम, पपीते, नींबू, किन्नू, एवोकाडो, अन्नानास, पालक से लेकर चुकंदर तक कोई ऐसा उष्णकटिबंधीय फल या सब्जी नहीं है जो टोगो की मिट्टी में न उग सके।
राजधानी से लगभग 400 किलोमीटर उत्तर में स्थित देश के कारा नामक क्षेत्र में कबिया काबिले की बहुतायत है। यहां कई लोग लौहार का काम करते हैं जो किसानों के लिए उपकरण बनाते हैं।
लोम के बाहरी इलाके में पड़ौसी देश बेनिन के सौदागर ‘वूडू’ अनुष्ठानों के लिए आवश्यक चीजें बेचने के लिए आते हैं। ‘वूडू’ तांत्रिक दूर-दूर से अनुष्ठानों के लिए चीजों की तलाश में इस बाजार तक आते हैं।
पर्यटकों को यह बाजार काफी भयावह प्रतीत हो सकता है जो यहां के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में शामिल हो चुका है।
The Sacred Voodoo Forest in Togo
यहां की हवा में मांस की गंध साफ महसूस होती है क्योंकि ‘वूडू’ अनुष्ठानों में इस्तेमाल होने वाली हर अजीब चीज मिलती है जैसे कि बंदर की खोपड़ी, मृत पक्षी, चमगादड़, सांप आदि के ढेर यहां नजर आ सकते हैं। जाहिर है कि जानवरों के कल्याण में रूचि रखने वालों के लिए यह बाजार जरा भी उपयुक्त नहीं है।
वैसे पर्यटक यहां से कुछ अलग तरह की चीजें अपने साथ ले जा सकते हैं। जैसे कि टैलीफोन के रिसीवर जैसा प्रतीत होता लकड़ी का एक टुकड़ा। माना जाता है कि इस टुकड़े में अपने इच्छा बुदबुदाने के बाद उसके मुंह को लकड़ी के टुकड़े से बंद कर दिया जाए तो वह पूरी हो जाती है।