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Dead Sea / मृत सागर

मृत सागर: इसराईल, फिलस्तीन, जॉर्डन की सीमा पर स्थित मृत सागर

मृत सागर समुद्र तल से ४०० मीटर नीचे, दुनिया का सबसे निचला बिंदु कहा जाने वाला सागर है। इसे खारे पानी की सबसे निचली झील भी कहा जाता है। ६५ किलोमीटर लंबा और १८ किलोमीटर चौड़ा यह सागर अपने उच्च घनत्व के लिए जाना जाता है, जिससे तैराकों का डूबना असंभव होता है।मृत सागर में मुख्यत: जॉर्डन नदी और अन्य छोटी नदियाँ आकर गिरती हैं। इसके उच्च घनत्व के कारण इसमें कोई मछली जिंदा नहीं रह सकती, लेकिन इसमें जीवाणुओं की ११ जातियाँ पाई जाती हैं। इसके अतिरिक्त मृत सागर में प्रचुर मात्रा में खनिज पाए जाते हैं। ये खनिज पदार्थ वातावरण के साथ मिल कर स्वास्थ्य के लिए लाभदायक वातावरण बनाते हैं। मृत सागर अपनी विलक्षणताओं के लिए कम से कम चौथी सदी से जाना जाता रहा है, जब विशेष नावों द्वारा इसकी सतह से शिलाजीत निकालकर मिस्रवासियों को बेचा जाता था। यह चीजों को सड़ने से बचाने, सुगंधित करने के अलावा अन्य दूसरे कार्यों के उपयोग में आता था। इसके अतिरिक्त मृत सागर के अंदर की गीली मिट्टी को क्लेयोपेट्रा की खूबसूरती के राज से भी जोड़ा जाता है। यहाँ तक कि अरस्तू ने भी इस सागर के भौतिक गुणों का जिक्र किया है। हाल के समय में इस जगह को हेल्थ रिज़ॉर्ट के तौर पर विकसित किया गया है।

आम पानी की तुलना में मृत सागर के पानी में २० गुना ज्यादा ब्रोमीन, ५० गुना ज्यादा मैग्नीशियम और १० गुना ज्यादा आयोडीन होता है। ब्रोमीन धमनियों को शांत करता है, मैगनीशियम त्वचा की एलर्जी से लड़ता है और श्वासनली को साफ करता है, जबकि आयोडीन कई ग्रंथियों की क्रियाशीलता को बढ़ाता है। सौंदर्य और स्वास्थ्य के लिए मृत सागर के गुणों की सिद्धि की वजह से ही कई प्र कंपनियां मृत सागर से ली गईं चीजों पर आधारित सौंदर्य प्रसाधन बनाती हैं। इसके गर्म सल्फर सोते और कीचड़ कई बीमारियों के इलाज में अहम भूमिका निभाते हैं, खासकर आर्थराइटिस और जोड़ों से संबंधित बीमारियों के इलाज में। लेकिन पिछले कुछ सालों से मृत सागर तेज़ गति से सिमट रहा है। पिछले ४० सालों में इसके पानी का तल २५ मीटर कम हो गया है। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि २०५० तक शायद यह पूरी तरह गायब हो जाएगा।

  • यह 30 लाख वर्ष प्राचीन है जो समुद्र तल से 1388 फुट नीचे स्थित धरती पर सर्वाधिक निचला स्थल है।
  • धरती पर सर्वाधिक निचली सड़क भी यहीं है। इसराईल के तट पर स्थित हाई-वे ९० समुद्र तल से 1289 फुट नीचे स्थित है।
  • यह दुनिया का सर्वाधिक नमकीन जलाशय है। इसके पानी में आम समुद्री जल की तुलना में 10 गुणा अधिक लवण है। इसी कारण इसके पानी में व्यक्ति डूबता नहीं है और बिना हाथ-पैर चलाए ही इंसान इसमें तैर सकता है।
  • डैड-सी वास्तव में कोई सागर नहीं है बल्कि अत्यधिक लवणयुक्त एक झील है, जिसे विश्व की सर्वाधिक गहरी नमकीन झील का दर्जा हासिल है।
  • इसे विश्व का पहला तथा सर्वाधिक लोकप्रिय हैल्थ रिजॉर्ट भी माना जाता है। किंग हेरोड द ग्रेट तथा क्वीन क्लियोपैट्रा के पसंदीदा हैल्थ रिजॉर्ट्स में से यह एक रहा है।
  • इसे विश्व का सबसे बड़ा फ्री स्पा भी कहा जाता सकता है। इसके जल, कीचड़ तथा लवण में प्रचुर मात्रा में मौजूद खनिजों, पराग-कणों तथा अन्य एलर्जी कारक तत्वों की कम संख्या, पराबैंगनी किरणों के कम स्तर के साथ वायुमंडलीय दबाव तथा गहराई के मेल से इसमें विभिन्न त्वचा रोगों, श्वास की तकलीफों तथा जोड़ों के दर्द को ठीक करने के गुण हैं।
  • इसका एक और अनूठा गुण है इसमें बड़ी मात्रा में पाया जाने वाला एस्फाल्ट (डामर) जो जल की सतह पर आ जाता है। प्राचीनकाल में मिस्र वासी यहां से इसे अपने देश मंगवा कर ममी पर लेप लगाने के लिए इस्तेमाल करते थे।
  • यहां प्रसिद्ध ‘डैड-सी स्क्रोल्स’ (पांडुलिपियां) भी मिले हैं। अच्छे ढंग से संरक्षित कई सौ पांडुलिपियों से इलाके, इतिहास तथा धार्मिक रुझानों के बारे में काफी कुछ पता चला है।
  • प्रमाणों के आधार पर दावा किया गया है कि अगले 50 वर्षों में मृत सागर पूरी तरह से सूख सकता है। यदी इस अनूठी जगह की सैर करने की आप सोच रहे हैं तो जल्द से जल्द वहां जाने की योजना बनाना उचित होगा।

मृत सागर में उतरने से पहले ध्यान में रखें ये बातें:

  • इससे एक-दो दिन पहले तक दाढ़ी न बनाएं क्योंकि मृत सागर के पानी में अधिक मात्रा में मौजूद खनिजों की वजह से छोटी-सी खरोंच में भी तेज जलन या दर्द हो सकता है।
  • खरे सोने के अलावा किसी भी तरह का आभूषन पहनने से बचें क्योंकि से तुरंत काले पड़ सकते हैं। हालांकि, बाद में उन्हें साफ भी करवाया जा सकता है परंतु इन्हें नहीं पहनना ही सही होगा।
  • तट की रेत तथा कहीं-कहीं तीखे पत्थरों से पैरों की रक्षा के लिए अपने पास चपल रखें।
  • अपना सिर मृत सागर के पानी में न डुबोएं। इसका पानी गलती से भी आँखों में चला गया तो तेज जलन होगी।
  • तट पर जाने से पहले खूब सारा पानी पिएं। मृत सागर की रुखी गर्मी (47 डिग्री सैल्सियस तक) तेजी से शरीर में पानी की कमी पैदा कर सकती है।

मृत सागर मर रहा है:

इसराईल, फिलस्तीन और जॉर्डन की सीमा पर स्थित मृत सागर तेजी से अपनी समाप्ति की ओर बढ़ रहा है। कहने को तो यह सागर है परन्तु इसमें जल की मात्रा में तेजी से कमी आ रही है। विषेशज्ञों के अनुसार यदि जल्द ही कुछ नहीं किया गया तो 2050 तक मृत सागर वास्तव में ‘मर’ जाएगा। उल्लेखनीय है कि 1950 के दशक से ही मृत सागर तेजी से सिकुड़ता जा रहा है।

मृत सागर के सिकुड़ते जाने के प्रमुख कारणों में मानवीय गतिविधियों के चलते पर्यावरण में आ रहे बदलावों का बड़ा हाथ है। एक समय मृत सागर को जॉर्डन से जलापूर्ति करने वाले जल के स्रोतों और यारमोक नदी से आने वाले जल को अब कृषि की सिंचाई के लिए प्रयोग किया जाने लगा है। आज जो उद्योग इसराईल और जॉर्डन की ओर स्थित मृत सागर से पोटाश, नमक मैग्नीशियम निकालते हैं उनकी पम्पिंग लागत बहुत बढ़ चुकी है।

इसे बचाने के उद्देश्य से हाल ही में विश्व बैंक ने मृत सागर को लाल सागर से जोड़ने के लिए एक नहर के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। विश्व बैंक अरबों डालर इस प्रोजैक्ट पर खर्च करने की योजना बना रहा है। शुरुआत में इस योजना के तहत लाल सागर से पानी मृत सागर तक लाने के लिए 180 किलोमीटर लम्बी नहर की खुदाई का प्रस्ताव है।

पर्यावरणविदों ने चेतावनी जारी की है कि प्रति वर्ष एक मीटर की गति से मृत सागर के जल-स्तर में आ रही कमी को रोकने के लिए यदि जल्द ही कदम नहीं उठाए गए तो यह प्राचीन जल स्रोत जल्द ही पृथ्वी से गायब हो जाएगा। मृत सागर के सिकुड़ते जाने से यहां कुछ खतरनाक ‘सिंकहल्स’ का निर्माण हो रहा है जो कई इलाकों को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है।

मृत सागर में खनिज भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। यहां सोडियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, बिटुमन और पोटाशिमय जैसे खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इनमें से 12 खनिज तो ऐसे हैं जो धरती पर और किसी समुद्र में नहीं पाए जाते। प्राचीन समय से यह मान्यता है कि यहां मिलने वाले अस्फाल्ट को मिस्रवासी अपने बाथ सिस्टर्न्स की वाटरप्रूफिंग हेतु और बाद में ममी बनाने में भी प्रयोग करते थे।

स्थानीय इसराईलयों का मानना है कि मृत सागर में जमा कीचड़ में कई रोगों को दूर करने की शक्ति है। एक मान्यता के अनुसार सबसे पहले क्वीन ऑफ शेबा का मानना था कि इस कीचड़ में हीलिंग पावर है। यह भी माना जाता है कि अपने प्रेम प्रसंगों के लिए चर्चित क्लियोपेट्रा ने सबसे पहले यहां आकर एक स्पा का निर्माण किया था।

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